भोपाल, 18 फरवरी (हि.स.)। मध्य प्रदेश अब अपनी स्टार्ट-अप पॉलिसी बनाने और क्रियान्वयन करने वाला राज्य बन गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट स्टार्ट-अप के विस्तार के विजन के साथ पॉलिसी में मध्यप्रदेश के संसाधनों को समाहित करते हुए स्टार्ट-अप पॉलिसी लागू की गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में शुक्रवार को सम्पन्न मंत्रि-परिषद की बैठक में नई स्टार्ट-अप नीति को मंजूरी दी गई।
एमएसएमई सचिव एवं उद्योग आयुक्त पी. नरहरि ने बताया कि प्रदेश में स्टार्ट-अप एवं नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए एमपी स्टार्ट-अप नीति एवं कार्यान्वयन योजना 2022 सह प्रक्रिया एवं दिशा-निर्देश का केबिनेट द्वारा अनुमोदन किया गया है। नीति में स्टार्ट-अप एवं इन्क्यूबेटर्स को वित्तीय, गैर वित्तीय सुविधा एवं सहायता तथा फेसिलिटेशन का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने बताया कि नीति के प्रमुख प्रावधान में स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए स्टार्ट-अप एवं इन्क्यूबेटर्स को निवेश सहायता, कार्यक्रम आयोजन सहायता, लीज रेन्टेल सहायता, विस्तार के लिए सहायता, पेटेंट सहायता आदि सुविधाएँ दी जायेगी। पॉलिसी में प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप उत्पाद आधारित स्टार्ट-अप की संख्या् में वृद्धि के लिए उन्हें विशिष्ट सुविधाएँ यथा रोजगार सृजन एवं कौशल विकास सहायता, विद्युत शुल्क में छूट एवं दरों में रियायत इत्यादि प्रदान की जाएगी ।
नरहरि के अनुसार, नई पॉलिसी में महिलाओं द्वारा स्थापित स्टार्ट-अप को अतिरिक्त रूप से 20 प्रतिशत की सहायता और स्कूल, महाविद्यालयीन स्तर से छात्रों में नवाचार एवं स्टार्ट-अप की भावना जागृत करने के लिए विशेष कार्यक्रम भी शामिल है। शैक्षणिक पाठ्यक्रम में उद्यमिता विकास को सक्रिय रूप से शामिल किया गया है, जिससे छात्रों को उद्यमिता की ओर आकर्षित करने के लिए इंटर्नशिप को प्रोत्साहित करने की व्यवस्था होगी।
पॉलिसी में नवाचार चुनौती कार्यक्रम के माध्यम से प्रदेश की सामाजिक-आर्थिक समस्याओं के निदान के लिये प्रयासों के साथ ही चयनित स्टार्ट-अप और नवाचारी को एक करोड़ रुपये की विशेष प्रोत्साहन सहायता दी जाएगी। इसके अलावा स्टार्ट-अप के फेसिलिटेशन एवं नीति अंतर्गत सहायता प्रदान करने के लिये विशेषज्ञों यथा वित्त् एवं परियोजना प्रबंधन, विपणन तथा कानूनी मामले की टीम के साथ भोपाल में पृथक से स्टार्ट-अप सेंटर की स्थापना किए जाने का प्रावधान है।
पॉलिसी में भारत सरकार से मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप में उच्च विकास दर प्राप्त करना, कृषि और खाद्य क्षेत्र में स्टार्ट-अप के विकास के लिये विशेष फोकस, नवीन इन्क्यूबेशन सेंटर की स्थापना एवं विद्यमान इन्क्यूबेशन सेंटर्स में क्षमता विस्ता्र भी शामिल है। स्टार्ट-अप को अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने के लिये उनकी मार्केटिंग एवं ब्रांडिंग में सहयोग के प्रावधान को भी पॉलिसी में शामिल किया गया है।
लघु उद्योग निगम में 2 कम्पनियों का संविलियन
पॉलिसी को प्रभावी बनाने के लिए मध्यप्रदेश वेंचर फायनेंस लिमिटेड तथा मध्यप्रदेश वेंचर फाइनेंस ट्रस्टी लिमिटेड का मध्यप्रदेश लघु उद्योग निगम में संविलियन किया गया है, जिससे भविष्य में स्टार्ट-अप को फंडिंग सहायता के लिये विशिष्ट वेंचर केपिटल फण्ड निर्मित किया जा सके। उन्होंने बताया कि स्टार्ट-अप के लिये एक सुदृढ़ ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया जायेगा, जो समस्त संबंधित हितधारकों के लिए सम्पर्क सेतु का कार्य करेगा। पोर्टल को भारत सरकार के स्टार्ट-अप पोर्टल से एकीकृत किया जायेगा। पोर्टल के माध्यम से सुविधाओं का लाभ प्रदान करने को प्राथमिकता दी जायेगी।
स्टार्ट-अप तथा नवाचार को प्रोत्साहित करने तथा उन्हें आवश्यक तकनीकी एवं मार्गदर्शी सहयोग प्रदान करने के लिए उन्हें राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर के तकनीकी एवं प्रबंधन संस्थाओं/विश्वविद्यालयों एवं अन्य अकादमिक संस्थानों से आवश्यक सहायता एवं भागीदारी प्राप्त की जाएगी। ईज ऑफ डूईंग बिजनेस अंतर्गत स्टार्ट-अप एवं इन्क्यूबेटर्स को आवश्यक अनुमति, सम्मतियों के लिए कार्योत्तर स्वीकृति की व्यवस्था भी होगी। मध्यप्रदेश पब्लिक सर्विस गारन्टी अधिनियम, 2010 में प्रावधान अनुरूप मान्य अनुमोदन भी प्रदान किया जाएगा।
एक करोड़ रुपये तक की शासकीय निविदा में भाग लेने वाले स्टार्ट-अप उद्यम को अनुभव एवं टर्नओवर संबंधी शर्तों और मापदण्डों से छूट प्रदान की जायेगी। साथ ही समस्त निविदाओं में सुरक्षा निधि,बयाना राशि से छूट प्राप्त होगी। स्टार्ट-अप में नकद तरलता की कमी को दूर करने के लिये राज्य शासन के निगम, मण्डलों तथा प्रमुख विभागों को यथा-संभव भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अधिकृत TREDS Platform Trade Receivable Discounting System से भी जोड़ा जायेगा।
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