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April 25, 2024
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आतंकियों के मुकदमें वापस लेने के मामले में घिरे अखिलेश यादव

उत्तर प्रदेश में एटीएस की ओर से ताबड़तोड़ छापेमारी में पकड़े गए आतंकियों को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई। जहां समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। वहीं सत्ता पक्ष के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य तथा कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने अखिलेश यादव पर चौतरफा हमला किया है।

अखिलेश यादव

अखिलेश यादव ने आतंकियों के पकड़े जाने के एक सवाल पर कहा था कि, ‘मैं यूपी पुलिस और भाजपा सरकार पर भरोसा नहीं कर सकता।’ यह वीडियो तब वायरल हुआ है जब एक दिन पहले यूपी एटीएस ने अलकायदा के दो संदिग्ध आतंकियों को लखनऊ से गिरफ्तार किया था। अखिलेश यादव का यह बयान आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उन पर हमलावर हो गयी है।’

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अखिलेश सरकार के फैसले को कर दिया था निरस्त

प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि अखिलेश यादव आतंकियों के मुकदमे वापस लेने वालों में से एक हैं, उन्हें यूपी पुलिस और एटीएस पर भरोसा क्यों होगा।

दरअसल, 2013 में जब सूबे में अखिलेश की सरकार थी, उस समय खुंखार आतंकियों के मुकदमें वापस लेने और आतंकियों को पकड़ने वाली आईबी समेत उत्तर प्रदेश पुलिस के जाबांज अफसरों पर उल्टा हत्या का मुकदमा दर्ज करवाया गया था।

इतना हीं नहीं अखिलेश सरकार ने इन आतंकियों के केस वापस लेने के लिए मंजूरी भी दे दी थी। लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आतंकवाद के आरोपियों से केस वापस लेने के मामले में अखिलेश सरकार के इस फैसले को निरस्त कर दिया था।

हाईकोर्ट ने कहा था कि आतंकवाद के सिलसिले में बंद लोगों के बारे में केंद्र सरकार फैसला ले सकती है, क्योंकि यह अधिनियम केंद्र का है। राज्य सरकार इसमें कोई निर्णय ले ही नहीं सकता है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि यह कौन तय करेगा कि आतंकवादी कौन है। जब मामला न्यायालय में है तो अदालत को ही तय करने दीजिये। सरकार कैसे तय कर सकती है कि आतंकी कौन है ?

सात आतंकियों के मुकदमें वापस लेने की हुई थी कवायद

अखिलेश राज में खूंखार आतंकियों के मुकदमे वापस लेने और आतंकियों को पकड़ने वाली आईबी समेत यूपी के जाबांज अफसरों पर उल्टे संगीन मुकदमा दर्ज करने के दस्तावेज मिले हैं। दस्तावेज से एक बड़ा खुलासा हुआ है कि मासूमों का खून बहाने वाले आतंकवादियों की अखिलेश सरकार ने खुलकर मदद की थी।

वर्ष 2013 में अखिलेश सरकार में कुल सात जनपदों में खूंखार आतंकियों पर दर्ज कुल 14 मुकदमें वापस लेने की कवायद शुरु की थी। आतंकवादियों पर लगे मुकदमे वापस लेकर अखिलेश सरकार उन्हें जेल से छोड़ने के अभियान में जुटी हुई थी।

दस्तावेज के अनुसार अखिलेश सरकार में वाराणसी, गोरखपुर, बिजनौर, रामपुर तथा बाराबंकी से एक-एक, लखनऊ से आठ, कानपुर नगर से तीन खूंखार आतंकियों के मुकदमों को वापस लेने की योजना थी। जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी जताते हुए सरकार से न सिर्फ जवाब मांगा बल्कि सपा सरकार को कड़ी फटकार भी लगाई थी।

बता दें कि, 07 मार्च, 2006 की शाम को वाराणसी के संकटमोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन पर हुए सीरियल ब्लास्ट में 18 लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। इस आतंकी हमले में लिप्त आतंकवादियों पर दर्ज मुकदमें को अखिलेश सरकार वापस कराना चाहती थी। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ खण्ड पीठ ने कहा था कि श्क्या इन आरोपियों को अखिलेश सरकार पद्मभूषण से नवाज देगी।

वरिष्ठ अधिकारियों समेत 42 पुलिसकर्मियों पर दर्ज हुए थे मुकदमें

आतंकियों को पकड़ने वाले आईबी और यूपी पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी तत्कालीन डॉयरेक्टर जनरल सिविल डिफेंस पर तैनात बृजलाल, पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह और 42 पुलिसकर्मियों के बाराबंकी की कोतवाली में हत्या का मुकदमा दर्ज कराया गया था।

यह मुकदमा उस वक्त लगाया गया था जब आतंकी खालिद मुजाहिद को फैजाबाद कचहरी में ले जाते वक्त लू लग गई थी, जिसके बाद वह बाराबंकी आते समय मर गया था।

सेवानिवृत पुलिस महानिदेशक बृजलाल ने अखिलेश पर बोला हमला

सेवानिवृत उप्र के पुलिस महानिदेशक बृजलाल ने अखिलेश यादव पर हमला बोलते हुए कहा कि उनका पक्ष आतंकवादियों का हित साधने में रहता है। इनकी यह फितरत आज नयी नहीं है।

18 मई 2013 में बाराबंकी में आतंकवादी खालिद मुजाहिद की लू लगने से मौत हुई थी। और इससे वे इतने बौखलाए कि मेरे खिलाफ तब मैं डायरेक्टर जनरल सिविल डिफेंस व्रिकम सिंह रिटायर्ड डीजीपी थे।

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हमारे दो एसपी मनोज झा, एस आनंद समेत इंटेलीजेंस ब्यूरों के अधिकारियों के खिलाफ बाराबंकी के कोतवाली में हत्या का मुकदमा दर्ज किया था। सीधा संदेश था कि आतंकवादियों के खिलाफ जो कदम उठायेगा उसका यही हाल होगा। यह पहला मौका था कि एक डीजी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुआ था।

बृजलाल ने बताया कि खालिद मुजाहिद, तारीक आसमी वो था, जिसने 07 मार्च, 2006 को लखनऊ, फैजाबाद, वाराणसी के कचहरियों में बम ब्लॉस्ट किए थे। बाराबंकी कचहरी से उसकी गिरफ्तारी हुई थी।

उनके उस मुकदमें को वापस ले लिया। कोर्ट ने नहीं माना और मुकदमा वापस नहीं लेने दिया। खालिद मुजाहिद तो मर गया, लेकिन तारीक आसमी को आजीवन कारावास की सजा हुई।

आतंकवादियों का साथ देने वाली पार्टी है सपा: सिद्धार्थ नाथ सिंह

प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने अखिलेश यादव पर तीखा हमला करते हुए कहा कि आप वहीं मुख्यमंत्री हैं, जब उत्तर प्रदेश में सीरियल ब्लॉस्ट हुआ था तो आपने आरोपियों को रिहा किया था। हाइकोर्ट में आपको मुहं की खानी पड़ी थी। आप आतंकवादी के साथ खड़ी होने वाली पार्टी के मुखिया हैं। आपकी नीति और सिद्धांत भी वही है, जिससे आतंकी मजबूत होते हैं।

सिद्धार्थनाथ सिंह ने बसपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती पर भी हमला बोला है। उन्होंने कहा कि जब माया सरकार में सीरियल ब्लॉस्ट होता था तो यही पुलिस आतंकियों को पकड़ती थी। उस समय वो सही था और आज गलत है।

इस सरकार में आतंकी पकड़े जा रहे हैं तो आपको तुष्टिकरण लगता है। जब आपने कार्रवाई की थी तो हम विपक्ष में थे और आपके कार्य की सरहना की थी। अब आप विपक्ष में है तो राष्ट्रवाद को छोड़कर तुष्टीकरण की राजनीति कर रही हैं। ये आपको शोभा नहीं देता है।

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