भारत के कई राज्यों में इन दिनों ZIKA VIRUS के मामले देखने को मिल रहे हैं। जीका वायरस एडीज मच्छर से फैलने वाली बीमारी है। ये मच्छर दिन और रात दोनों समय काट सकते हैं, लेकिन ज्यादातर दिन के समय ये एक्टिव होते हैं। एडीज की कई प्रजातियां जीका को संचारित कर सकती हैं। इनमें से सबसे मुख्य है एडीज एल्बोपिक्ट्स और एडीज इजिप्टी जिसे येलो फीवर(Yellow Fever) मॉस्किटो भी कहते हैं।
इसके लक्षण व बचाव के तरीके
बहुत से मामले ऐसे होते हैं जिसमे इस वायरस से संक्रमण के कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं, जबकि कुछ मामले ऐसे होते है। जिसमें बहुत हल्के लक्षण दिखते हैं। अभी तक जीका वायरस के कारण मौत के मामले कम देखने को मिले हैं। यही कारण है कि कई लोगों को जीका वायरस से संक्रमित होने का एहसास भी नहीं होता। जीका वायरस के लक्षण मच्छरों के काटने से होने वाली अन्य बीमारियों जैसे डेंगू और चिकनगुनिया जैसे ही होते हैं।
जैसे कि ZIKA VIRUS हो उसे शुरुआत में मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, बुखर, रेशेज, सिरदर्द, कंजेक्टिवाइटिस यानी आंखें लाल होना और उल्टी जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। अगर आपकों शक हो कि आप इस वायरस की चपेट में आ चुके हो तो डॉक्टर से ब्लड या यूरिन टेस्ट करवा सकते है ताकि जीका वायरस संक्रमण की पहचान की जा सके। जीका वायरस इतना खतरनाक होता है कि अस्पताल में भर्ती तक होना पड़ सकता है।
अगर कोई महिला गर्भवती हो और उसे यह संक्रमण हो जाए तो अजन्मे बच्चे पर भी इसका असर पड़ सकता है। बच्चे को मास्तिष्क दोष भी हो सकता है, जिसे माइक्रोसेफेली कहा जाता है। इसमें नवजात बच्चे का मास्तिष्क और सिर आकार में छोटा होता है। जिन लोगों में जीका वायरस की पुष्टि हुई है, उनमें गुइलेन बैरे सिंड्रोम यानी एक गंभीर ऑटोइम्यून डिसऑर्डर भी पाया गया है। जिससे सेंट्रल नवर्स सिस्टम प्रभावित होता है।
2016 में पहली बार ZIKA VIRUS वायरस का प्रकोप दिखा
WHO के अनुसार , 1947 में जीका वायरस की पहली बार युगांडा के बंदरों में पहचान की गई थी। लेकिन इसने जिन को सबसे अधिक प्रभावित किया था, वह एशिया, अफ्रीका, दक्षिण और मध्यम अमेरिका के लोग थे। वही साल 2016 में पहली बार जीका वायरस का प्रकोप देखने को मिला। वही जीका वायरस के मामले साल 2016 के बाद से लगातार घटने लगे। लेकिन साल 2021 में उत्तर प्रदेश के कानपुर और कुछ अन्य जिलों में इसका प्रकोप काफी देखने को मिल रहा है।
जीका वायरस होने का खतरा सबसे अधिक तब होता है जब किसी ऐसी जगह की यात्रा की हो जहां जीका मौजूद है, मुख्य रूप से यह वायरस तब फैलता है जब मच्छरों ने काटा हो, लेकिन कभी-कभी जब एक गर्भवती महिला के भ्रूण तक यौन संपर्क और ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिए भी यह फैल सकता है। अगर किसी व्यक्ति में जीका वायरस पाया गया है तो उसे लक्षण दिखने के बाद 3 सप्ताह तक हर संभव प्रयास करना चाहिए कि वह मच्छर के काटने से बचे। क्योंकि यह मच्छर बहुत ही जल्दी दूसरे व्यक्ति तक वायरस पहुंचा सकता है।
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जीका वायरस के संक्रमण से बचने के उपाय
ZIKA VIRUS का पहला मामला 23 अक्टूबर को कानपुर में सामने आया था। यहां पर वायुसेना के एक अधिकारी को यह संक्रमण हुआ था। जीका वायरस मच्छरों के जरिये फैलता है, इसलिए मच्छरों से छुटकारा पाकर ही सुरक्षित रहा जा सकता है। इसलिए आवश्यक है कि मच्छरों को पनपने से रोका जाए। मच्छरों से बचने के उपाय ही जीका वायरस के संक्रमण से बचा सकते हैं। जीका वायरस के लिए अभी तक कोई भी दवा या वैक्सीन नही बनी है। हालांकि जिसे यह संक्रमण होता है उसे भरपूर आराम करने को कहा जाता है खूब तरल पीने की सलाह दी जाती है। ताकि डिहाइड्रेशन से बचा जा सके।
बुखार और दर्द से छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि दिन दवाईयों का सेवन करना है। डॉक्टरों का कहना है कि जब तक इस बात की पुष्टि न हो जाए कि व्यक्ति में डेंगू नहीं है, तब तक एस्परिन और नॉन-इस्टेरॉइडल एंटी-इनफ्लेमेटरी ड्रग्स बिल्कुल नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इससे ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है। अगर संक्रमित व्यक्ति ब्लड प्रेशर, शुगर या किसी अन्य बीमारी के लिए दवाएं ले रहे हैं तो कोई भी नई दवा लेने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर ले।
सोनाली